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| Do. Hukamchand ji bharill & shree Ratanchand ji bharill |
हृदय कमल जैसा कोमल है,
चंदन सम शीतल निर्मल है।
जिसके कोमल मृदु वचनों से –2
धर्म कथन करते देखा है।।
हिम चोटी सा दिल............
जीवन जिसका गया उसी में,
गुरुओं का जो गुरु हुआ है।
धीमानों की उस गद्दी पर –2
दादा को बैठे देखा है ।।
हिम चोटी सा दिल............
जग में जीवन पथ है उज्जवल,
नेताओं सा जीवन का कल।
नेता का नेता भी जो है –2
द्वय भ्राता का संग देखा है।।
हिम चोटी सा दिल............
अविचल धारा रहे धर्म की,
गुरु कहान के उस जीवन की।
धर्म की इक इक बातों पर मैं –2
खोल के दिल कहते देखा है।।
हिम चोटी सा दिल............
जिसकी छोटी सी बगिया है,
हम भव्यों पर ही करुणा है।
बगिया का माली या सब कुछ,
फूलों का पानी या सब कुछ,
आज उसी बगिया में उगते –2
फूलों को खिलते देखा है।।
हिम चोटी सा दिल............
धर्म विरोधी थे लाखों जब,
कर्मकांड के भी भारी मत।
तोड़ गिराये भू उन सबके,
अचल रहा जो जिन शासन बल।
इस मानव से बढ़ कर दूजा –2
और नही मानव देखा है।।
हिम चोटी सा दिल............
#हिम_चोटी _सा_दिल _देखा _है।

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