Editors Choice

3/recent/post-list

यह ब्लॉग खोजें

विचारों की क्रांति विश्व की सबसे श्रेष्ठ क्रांति है।

Facebook

Header Ads

I love you....???

 अमित भाई का संघर्ष शब्दों से न लिख सकते हैं और न ही जुबान के जरिए बयान कर सकते है। लेकिन जो कुछ है वो पाठक के सामने पेश है।

couples,forever,falling,lovequotesforhim, couplecute, ineedyou, youandme, myloveforyou,l ovequotes,loveu,143
I love you....  ???

अमित घर में सबसे छोटा भाई है, अभी जवानी ने बस दूर से देखा ही था, लेकिन मां के प्रति प्रेम की समझदारी बालक के मन में पैदा हो गई थी। वो जानता था कि अगर खुद के बल कुछ नही किया तो तय है, आगे जीवन में दुनिया से लताड़ा जायेगा, बड़े भाइयों ने अपनी सादी के बाद मां को जमीन का टुकड़ा देकर अलग कर दिया बचा नादान अमित अभी 7 बर्ष का ही था, फैसला नहीं ले पा रहा था कि मां के साथ रहे या बड़े भाई का हाथ पकडूं आखिरकार मां के निकट प्रेम खींच लाया, और मां के साथ रहने लगा।

अब अमित पढाई भी करता और मां की मदद भी, लेकिन उस जमीन के टुकड़े का क्या भरोसा कितना साथ दे कभी फसल आती तो कभी नहीं। अमित ने सोच लिया अब पढ़ाई नही करना अब मां की मदद करनी पड़ेंगी नही तो खाने के लाले पड़ जायेंगे।

 अमित 8 बी कक्षा में पढ़ने तो गया लेकिन स्कूल बैग घर ही रखा रह गया बगल वाले चाचा जी के साथ दिहाड़ी पर निकल गया और काम सीखने लगा। दिन का 4 रूपए मिलता था लेकिन खुशी थी कि आखिरकार मैंने मां के लिए कुछ करना शुरू तो किया।

कुछ दिन में ही काम में चंगा हो गया अब कि बार अमित में गांव के बाहर जाकर काम करना शुरू कर दिया और 10 रूपए दिन कमाना शुरू कर दिया, उमर अभी भी 16 के आस पास ही रही होगी, एक दिन काम से लौटकर आया ही था कि एक बुजुर्ग ने रोक लिया और पूछा, बेटा कितने कमाये आज, अमित ने खुशी से 10 कह दिया, लेकिन जो बात उस बुजुर्ग ने कही वो अमित को दिल कर गई, बेटा अगर तुम ऐसे ही कमाते रहे तो बस पूरी जिन्दगी ऐसे ही निकाल दोगे बचता भी क्या है? कुछ नही न? तो कहीं दिल्ली क्यों नही चला जाता वहां कुछ बचा तो लेगा। 

बात सुनकर अमित मां के पास आकर बैठ गया मां से मंजूरी तो मिली क्योंकि बड़े भैया भी दिल्ली में ही रहते थे, मां ने कहा कम से कम भाई के पास रहकर कमा लेगा और बचा भी लेगा।

अमित अगले रोज दिल्ली आ गया और काम में लग गया जिस जगह अमित को काम मिला वहां अमित का मन भी लगता था और यहां अमित की दिल की धड़कनों का तार भी नजदीक था। अमित के साथ काम करने वाली बिंदू अमित को पसन्द तो करती थी लेकिन जुवान से कह सके इतनी हिम्मत जुटा पाना न उसके बस में था और न ही अमित कह पा रहा था उसे भी डर था, जो प्रतिमा सी खूबसूरती को लिए हुऐ चांद सी महकने वाली देवी जैसी लग रही थी उसे कह भी दे और मना कर दीया तो?

अमित का यही डर उसे कभी बिंदू को एक शब्द भी नहीं कह पाया। 

दोनों के दिल में एक दूसरे के प्रति प्रेम तो था, बस जाहिर करने का जज्बा न यहां था न वहां। 

 अमित अपने काम पर ध्यान दे रहा था, जितने पैसे मिलते थे, खर्च निकालकर बचे पैसे मां के लिए भेज देता , अब घर की चिंता भी अमित के दिमाग से निकल गई थी, और मां ने भी उन पैसों को जोड़ जोड़कर बेटे की सादी के लिए जमा कर लिया। 

 अमित एक बार जब घर गया तब बड़े भैया जी ने आकार मां से कहा,

 मां हम अलग अलग हो गए हैं तो क्या हुआ? भाई की सादी भी तो करवानी है, क्या सोचा है तूने मां?

 भैया का कहना ही था कि मां ने हामी भरदी और अमित सादी के बंधन में भी बंध गया, अमित की साउथ इंडियन बिंदू अब भी दिल में थी अगर मौका मिलता तो अमित उसी से सादी करता।

 अमित सादी करके दिल्ली बापिसी हो गया, बिंदू को अमित की सादी की बात का पता लगा तो उसे दुख तो बहुत हुआ, लेकिन कहती भी क्या और किससे? चुप चाप अपने काम पर ध्यान देती रही, एक रोज अमित से यूं ही किसी ने बोल दिया अगर तेरी सादी यहीं ऑफिस में किसी से करता तो किससे करता ?

 अमित ने अब सादी के बाद अपने दिल की बात जाहिर करने में कतराना ठीक न समझा और सीधा जवाब दिया अगर मुझे सादी करने का यहां मौका मिलता तो मै बिंदू से सादी कर लेता। 

 ये महज कुछ शब्द ही थे लेकिन जब ये बात बिंदू को पता चली, बिंदू दौड़कर पास के गार्डन में पहुंची और एक घंटे तक सिसक सिसक कर रोती रही, उसे इस बात का दुख था, अगर में कह देती तो आज यूं रोना न पड़ता, अमित भी बिंदू के बगल में बैठा आंखे गीली किए काफी समय तक गालों से बूंदे गिराता रहा, आज वो दिन था जिस दिन अमित और बिंदू को दोनों के प्रति सबसे ज्यादा प्रेम उमड़ा था।

जिदंगी में कुछ बातें ऐसी भी होती हैं, जिन्हे समय पर जाहिर कर लेना चाहिए, हो सकता हो वो आपके कहने तक के ही इंतजार में हो..

 



एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ