अरे जा रे तू तेरे बस का काम नहीं, कभी अपनी औकात देखी है, बेटा जितने हो उतने रहो ज्यादा उड़ने की कोशिश न करो...... ये वाक्य आखिर क्यों एक उम्मीदवार के सामने फैंक दिए जाते है? ये उसे उठाते हैं या और कमजोर करते हैं, मैं इसके बारे में आपसे कुछ भी नही कहना चाहता, पर जरा सोचिए आप क्या हैं?
success |
और अंत में जो आपका जबाव निकलेगा? आप उस जबाव को जरा मेरे जवाब से मिलान कर लेना अगर सही है तो तुम भी वो सब कुछ कर सकते हो जिसकी तुम्हे उम्मीद है, चाहत है, ललक है।
और अब मेरा जबाव है कि तुम एक इंसान हो। एक ऐसे जीव हो जो दुनिया के हर एक काम को कर सकता है, ऊंची ऊंची बुलंदियों को भी छू सकता है, असंभव से दिखने वाले काम को संभव दिखाने का जिगरा है जिसके पास, वो इंसान हो तुम, तो कायर क्यों समझते हो अपने आप को?
क्या तुम्हें अपने हैसियत के हक की चाहत नही है?
और हां ये बात आपको इसलिए नहीं पचेगी क्योंकि आपको ये लगता आ रहा है कि हम क्या करेंगे साहिब हम तो बस छोटी फैमिली से हैं, हमारी इतनी बडी वैल्यू कहां है? हम हमारे पिता,दादा यहीं रहे और यहीं मर जायेगें अगर आपके ये शब्द निकलते है तो साहिब आपकी किस्मत को किसी भगवान ने नहीं लिखा बल्कि आप खुद ऐसी सोच से खुद तानाबाना बुनने में लगे हुऐ हो।
क्या कभी तुमने सोचा क्यों कुएं के मेढ़क को बस वह एक कुआं ही सारा संसार लगता है? क्यों वो उससे अधिक नही सोच पाता? क्या उसके पास काबिलियत नहीं है या वो खुद अपनी काबिलियत ऐसी बना रहा है?
आप खुद कुछ करने का हौसला पैदा क्यों नही करते? अरे खुशी से एक छलांग लगाओ तो सही किसने कहा आपकी पहली छलांग सफल ही होनी चाहिए, अरे मेहनत नाम की भी तो कोई चीज होती है, जब तक तरक्की आपके चरणों में आकर न गिर पड़े तब तक डटे रहना है, ये दुनिया तो यूं ही कदमों में गिर पड़ेगी।
और एक बात हमेशा याद रखना सफल व्यक्ति वो कहलाता है, जो दुसरे लोगों की जुबान से भी सफल कहा जाने लगे।
मैं आपको एक छोटे से उदाहरण से समझाने की कोशिश करता हूं, एक पिता के चार पुत्र थे, अपने सभी पुत्रों को उसने अपने अनुसार बनाने की पुरी कोशिश की एक एंजियर बना तो एक डॉक्टर बन गया और एक लड़का बैंक मैनेजर बन गया पर एक लड़का कुछ नहीं बन पाया उसकी काबिलियत उसे अभी तक कुछ भी नहीं बना पाई, लेकिन पिता को अपने हर एक पुत्र पर गर्व था, जब उनसे किसी ने सवाल किया आपके तीन लड़के तो आपका नाम बहुत ऊंचा कर रहें पर एक लड़के को आपने क्यों सफल नहीं बना पाया?
पिता का जो जवाब था वह शानदार था, पिता ने कहा वे तीन पुत्र भी मैंने सफल नहीं बनाए अगर मैं उन तीन को सफल बना सकता था तो इसको भी तो सफल बना देता? सब अपनी अपनी कोशिशों और मेहनत का फल होता है, इसलिए मैं न ही किसी की तरक्की से गर्व में जीता हूं, ना ही किसी की असफलता पर गम में मेरे लिए सफल वही है जो मेहनत करके कुछ कर दिखाने की काबिलियत रखता है।
ऐसी ही हम सभी की ज़िंदगी है, हम कोशिश की नींव को मजबूत तो नहीं बनाते बल्कि दूसरों से थोड़ी थोड़ी बातों से प्रभावित होकर व्यर्थ की कोशिश करते रहते है, हमें चहिए हम सभी किसी भी एक काम को मन से करें, निश्चित ही जीत आपके कदमों में खेलेगी।
आपने धैर्य के साथ इसे पढ़ा ये आपका सौभाग्य था,
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