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जयपुर डायरी पार्ट 1

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जयपुर डायरी - Jaipur Diary

जयपुर आना मेरा एक ख़्वाब था, जो पूरा भी हुआ।

खैर तुम्हे क्या तुम तो अपनी कहानी ही तलाश रहे होगे।

ये कहानी मेरी डायरी के पन्नों में दफ़न थी और आज आपके सामने तो पढ़ लो मनाई कहां है,

जयपुर डायरी

किसी से कुछ कहे बिना मैं सीधे पार्क पहुंच गया था।

यहां आने का कुछ खास मकसद नहीं था, वो तो मन नहीं लग रहा था और कोई अपनी जान पहचान का भी नहीं था।

बस इसीलिए भटकते भटकते यहां तक आ गया था, वैसे मैं आज ही जयपुर आया था, जो कि राजस्थान की शान कह लो या वीरों की भूमि सब शोभा देता है।

पार्क में बहुतई हरियाली थी, ऐसी हरियाली जैसी मैंने कभी देखी ही नहीं थी।

   अब आप कुछ गलत समझे उसके पहले मैं ही बता देता हूं, यह प्राकृतिक हरियाली थी,वो वाली नहीं, जो कि आप अभी अभी सोच कर मुस्कुरा दिए थे।

   खैर आपको सुनकर बुरा लगा होगा शायद मन कर रहा होगा बड़ा अंतर्यामी बना फिरता है?

"मैं कहां मुस्कुराया था" 

तो भाईसाहब आप खामोखा टेंशन ले रहे हो, 

"मैंने तो बस आपके कंधे पर रखकर गोली चलाने की सोची थी, जिसको लगी तो अच्छा है, नहीं लगी तो लग जाएगी, वैसे भी हम कहां भागे जा रहे।"

मैं बगल वाली कुर्सी पर जाकर बैठ गया, जहां छुटपुट बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे, देख कर तो ऐसा लग रहा था, जैसे दिन भर का गुस्सा इसी पर उतार रहे हैं।

खैर इससे क्या हम तो अपना Minde Fresh करने आए थे, किसी झंझट में पड़ कर फिनिश थोड़े ही करना था Minde!

अब Park में बैठे-बैठे क्या करते हैं, सोचा 

Massage वगैरह ही check कर लेते हैं। 

किसी ने याद किया हो तो

"धन्यवाद गुरु"

नहीं किया हो तो हम कर लेंगे, वैसे भी हमें कौन याद करता है, हम थोड़े ही कोई महान हस्ती है, जो सरकार कहते हुए हमें याद करें।

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मैंने पहला Massage पड़ा -

"बेटा पहुंच गया के नहीं फोन ही नहीं लगाया।"

ये बुआ जी का प्यार था।

"जी हां पहुंच गया, आप ज्यादा मति सोचा करो।"

मैने फटाफट Type कर दिया।

पर अगला Massage बड़ा अटपटा था, जिसे पढ़कर ये सोचना पड़ा कि आखिर ये है कौन?

"हमसे पूछ लिए होते कि हम जा रहे हैं, तुम बड़े बेवफा निकले यार, एक बार बताया भी नहीं।" 

मैंने एक एक अक्षर चबा चबाकर पड़ा और वैसे भी हिंदी कमजोर थी, चबा चबा कर तो पढ़ना ही था।

जे कौन है, जो हमें बेवफा कह रही है, तो खुद को वफा एं चांद मैंने मन ही मन सोचा और तुरंत Trucollar पर नंबर डाला तो पता चला यह तो हमारी परम सहेली है। जो कि हमारे घर के सामने ही रहती है।

फिर क्या था, मैंने भी Type करते हुए कहा-

"क्या कहा दीदी समझ नहीं आया और वैसे भी मैं रक्षा बंधन पर घर आ रहा हूं वहीं मिलते हैं ना।"

Massage लिख कर डाला ही था, कि सामने से लाल मुखौटा लिए एक चिरकुट प्रकट हो गया।

मैं समझ गया था, ये चंडी का रौद्र रूप है। मैंने तुरंत बात पलटते हुए कहा-

अरे! हम तो मजाक कर रहे थे और वो तो ऐसे ही कह दिये थे।

ऐसे कैसे भुला देंगे आपको?

हैं..... मैंने मरी सी आधी इंग्लिश, आधी हिंदी में लपक कर Massage कर दिया।

और भई कौन पड़े इनके चक्कर में? वैसे भी ये भूत प्रेतों की भी अम्मा होती हैं। जिन्हें चिपकना तो आता है और भगाओ तो दांत निपोरा- नीपोरी करतीं हैं।

"अच्छा.. तो ठीक है। आइंदा ऐसा मजाक किया तो सोच लेना"….….. सामने से शुद्ध हिंदी में Massage आया। 

"Ok ji".... मैंने अंग्रेज़ बनना चाहा।

इसके और आगे बात बढ़ती, तभी मेरे जैसा एक और अल्हड़ नजर आ गया। मैंने तो नहीं उसी ने बात का सिलसिला शुरू किया।

कैसे हो भाई? वो हाल चाल पूछते हुए बगल में बैठ गया।

कुछ नहीं भाई, सब बढ़िया है, मैं अभी भी मोबाइल में आंखे घुसाए हुए था।

कुछ परेशान लग रहे हो, कोई दिक्कत हो तो बताना?

जनाब ने पीठ थपथपाई और निकल लिए...

अभी मेरी झक्की खुली, जिसे मैने आवारा समझा था, वो ही ज्ञान पेल के चला गया या कहें बाप का दर्जा ले गया।

मैंने मन ही मन कहा अच्छा है गुरु बताते हैं मिलना तो होगा ही देखते हैं।

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अगली सुबह फिर टकराव हो गया-

"कैसे हो भाई मन तो लग रहा है।" उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा।

"जी! अच्छा लग रहा है।" मैंने भी बड़ी सादगी से कहा।क्योंकि मैं समझ गया था, ये हमारे सीनियर है।

"भैया आपका नाम क्या है।" मैंने पूछा ही था कि सामने से किसी ने आवाज लगाई।

"चलो यार लेट हो गए है, भाईसाहब गुस्सा होंगे वैसे भी कल लेट हो गए थे।"

"हां यार चलो, आज कल तुम भी बहुतई सख्त होते जा रहे हो, इतना कहते हुए वो चले गए।"

मैं वहीं खड़ा कुछ सोच रहा था।

"अच्छा हुआ इनके साथ फस गया, नहीं तो पता नहीं कौन कनपटी पर लगाकर कहता।"

चल वे निकल यहां क्या कर रहा है। देखता नहीं सीनियर खड़े हैं।

तभी किसी ने पीछे से आवाज लगाई

सभी अपनी अपनी क्लास में चलो।

मैंने पीछे मुड़कर देखा तो भाईसाहब थे।

मैं दबे पैर निकल लिए, लेकिन उनका कहना आज भी याद है।

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खैर अभी तो जयपुर डायरी शुरू हुई है।

लेकिन आगे फिर मुलाकात होगी। जयपुर डायरी पार्ट 2 में

एक नये अंदाज में......

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