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Books by Ajay Singh Rana

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Books by Ajay Singh Rana

 तेरा नाम इश्क़ (Tera Nam Ishq) :-

                    तेरा नाम इश्क़ 2018 में प्रकाशित प्रेम और राष्ट्रवाद के धागों में बुना एक भावुक उपन्यास है जो पाठकों में काफी चर्चित रहा। देश के विभिन्न भागों से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं की निरंतर बरसात इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है। इस उपन्यास का द्वितीय संस्करण आ चुका है। देश के सेंसटिव मुद्दों पर बात करती ये कहानी जहाँ एक तरफ प्यार के रूहानी रूप को दर्शाती है तो दूसरी तरफ देश प्रेम और त्याग की भावुक सरिता के भी दर्शन कराती है। यह उपन्यास्कार अजय सिंह राणा का द्वितीय उपन्यास है जिसे चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा बेस्ट पांडुलिपि चयनित और पुरस्कृत किया गया था। 

उपन्यास लेखन में अजय सिंह राणा एक ऐसा संसार रचते हैं जिसमें कहानी के चरित्र छवि बनकर मन मस्तिष्क पर तैरने लगते हैं। मानवीय संवेदना को छूते हुए शब्दों का ऐसा सागर वह निर्मित करते हैं जहाँ डूबने से ही अर्थ समझ आते हैं उपन्यास लेखन के साथ-साथ वह मार्मिक कविताओं की भी रचना बेहतरीन तरीके से करते हैं जिनका एक अलग पाठक वर्ग है। वह उपन्यासों में अपनी कविताओं के सफल प्रयोग के लिए भी जाने जाते हैं।

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खाली घरौंदे (Khali gharonde) :-

                 ख़ाली घरौंदे उपन्यास 2015 में प्रकाशित हुआ था और अब 2020 में द्वितीय संस्करण आ चुका है। यह उपन्यास रिश्तों के ताने बाने पर आधारित एक मार्मिक कथा है। आँखों को नम करती ये कथा आपसी रिश्तों के बीच उपजे स्वार्थ और प्रेम के द्वंद्व को पेश करती है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने इस उपन्यास पर एमफिल करवाई है। यह उपन्यास्कार अजय सिंह राणा का प्रथम उपन्यास है जिसे चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा बेस्ट पांडुलिपि चयनित और पुरस्कृत किया गया था।

उपन्यास लेखन में अजय सिंह राणा एक ऐसा संसार रचते हैं जिसमें कहानी के चरित्र छवि बनकर मन मस्तिष्क पर तैरने लगते हैं। मानवीय संवेदना को छूते हुए शब्दों का ऐसा सागर वह निर्मित करते हैं जहाँ डूबने से ही अर्थ समझ आते हैं। उनका पहला उपन्यास 'खाली घरौंदे' मानवीय मूल्यों और बिखरते रिश्तों पर आधारित था जिसमें समाज में नैतिक मूल्यों के पतन पर एक बड़ा प्रश्न उठाया गया था।

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भीगे हुए खत (Bheege huye khat) :-

                   "भीगे हुए खत" प्रेम और अलगाव पर आधारित कविता का संग्रह है। संग्रह तेरे नाम इश्क ’उपन्यास के लेखन के दौरान लिखी गई कविताओं से बना है। प्यार में कोई मंजिल नहीं है, लेकिन एक खूबसूरत यात्रा जहां शरीर की उपस्थिति मायने नहीं रखती है। यह आत्माओं की यात्रा है जो अंतिम सांस तक जारी रहती है। प्रेम शारीरिक मिलन के बारे में नहीं है; यह उससे परे है, यह आत्माओं का मिलन है। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है जो 'प्रेम' 'इश्क़' 'मोहब्बत' जैसे शब्दों का सही अर्थ खोजने की कोशिश कर रहे हैं। उम्मीद है कि वे निराश नहीं होंगे। इस संग्रह में सभी कविताएँ अपनी प्रेयसी के लिए है जो स्वार्थहीन प्रेम की वकालत करती हैं। ये ख़त आंसुओं में डूबे ख़त हैं जो प्रेमी उन्हें कभी प्रेयसी को भेज न सका।

 2013 में, लेखक का पहला संग्रह उम्मीद के कीनारे ’चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ पांडुलिपि’ चुना गया था।  

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तुम ज़िंदा हो मां (Tum Zinda ho maa) :-

                      'तुम जिंदा हो माँ' युवा कवि और उपन्यासकार अजय सिंह राणा की पांचवी किताब है। वह लेखन में वर्ष 1999 से सक्रिय हैं। 

अजय सिंह राणा भावनाओं के लेखक माने जाते हैं । भावनाओं को शब्दों में पिरोने का हुनर वह अच्छे से जानते हैं । चाहे बात उनकी कविताओं की हो या उनके उपन्यास की, उनके शब्द अपने पाठकों को बांध ही लेते हैं। उन्होंने बताया कि -"माँ की याद में लिखी यह कविताएं केवल शब्द मात्र नहीं है बल्कि भावनाओं का वह सागर है जिसमें मैं डुबकी लगाकर अपनी आत्मा को तृप्त करता हूं। ' माँ ' कोई छोटा शब्द नहीं बल्कि ऐसी दुनिया है जिसमें हम सब अपने दुख त्याग कर एक ऐसे लोक में पहुंच जाते हैं जहां सिर्फ निस्वार्थ प्रेम हैं। माँ कभी मरती नहीं, ज़िंदा रहती है हमेशा, हमारे विश्वास में, धड़कनों में और हमारे हर उस पल में जब हम अपने आप को अकेला महसूस करते हैं तो वह चुपके से आकर हमारा दामन थाम लेती है और सारे दुख हर लेती हैं।" यह किताब सृष्टि प्रकाशन से प्रकाशित हुई है जिसका पाठकों को बेसब्री से इंतजार था। माँ के अथाह प्रेम को दर्शाती यह कविताएं हर पाठक के दिल को छू लेती है।

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उम्मीद के किनारे (Umeed ke kinare) :-

                       उम्मीद के किनारे कवि और उपन्यासकार अजय सिंह राणा की पहली पुस्तक है । यह एक कविता संग्रह है जो 2013 में प्रकाशित हुआ था। यह किताब भी चंडीगढ साहित्य अकादमी से बेस्ट पांडुलिपि चयनित और पुरस्कृत हुई थी। यह काव्य संग्रह तीन भागों में बंटा हुआ है । प्रथम भाग मां और वात्सल्य शीर्षक से है जिसमें मां से जुड़ी और टूटते हुए पारिवारिक रिश्ते पर लिखी हुई कविताएं हैं जो हमें भावुक कर देती हैं। दूसरे भाग में प्रेम रस की कविताएं हैं। प्रेमिका के विरह में लिखे गए शब्द हमें अंदर तक छू जाते हैं। निस्वार्थ प्रेम की झलक हमें इन कविताओं में मिलती हैं। 

अंतिम भाग देश व समाज है 

जिसमें राजनीतिक ,सामाजिक और पर्यावरण से संबंधित कविताएं हैं इस संग्रह की कुछ कविताएं बहुत से राष्ट्रीय अखबारों में छप चुकी हैं। 

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About Ajay Singh Rana :-

                       युवा कवि और उपन्यासकार अजय सिंह राणा मूलतः हरियाणा प्रदेश के करनाल जिले से सम्बंध रखते हैं । उनका जन्म गांव गोंदर में 01 फरवरी 1979 को हुआ लेकिन उनका पालन पोषण और शिक्षा करनाल के घरौंदा शहर में हुई।

वह 2005 से चंडीगढ़ के शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर कार्यरत है, उन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में साहित्य अकादमी चंडीगढ़ बेस्ट मैनुस्क्रिप्ट पुरस्कार , बेस्ट टीचर अवार्ड और प्रशस्ति पत्र , शिक्षक रत्न अवार्ड , एशियन एक्सीलेंस अवार्ड और हिंदी श्री सम्मान प्राप्त हुआ । उनके पहले उपन्यास खाली घरौंदे पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा एमफिल करवाई गई है ।

       देश के प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कविताओं का निरंतर प्रकाशन, आकाशवाणी रोहतक पर कार्यक्रम का प्रकाशन, मुंबई स्क्रीनराइटर एसोसिएशन की सदस्यता और NZCC और साहित्य एकेडमी चंडीगढ़ के सम्मेलनों में सक्रिय भागीदारी।

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