Advertisement

तेरा नाम इश्क़ (TERA NAAM ISHQ) – अजय सिंह राणा की पुस्तक की समीक्षा और सार

तेरा नाम इश्क़ (TERA NAAM ISHQ) – अजय सिंह राणा की पुस्तक की समीक्षा और सार, तेरा नाम इश्क़, Tera nam Ishq, तुम ज़िंदा हो मां, Tum zinda ho maa, खाली घरौंदे, Khali gharonde, उम्मीद के किनारे, Umeed ke kinare, भीगे हुए खत, Bheege huye khat, Ajay Singh Rana, अजय सिंह राणा, Tera nam Ishq by Ajay Singh Rana, Khali gharonde by Ajay Singh Rana, Bheege huye khat by Ajay Singh Rana, Tum Zinda ho maa by Ajay Singh Rana, Umeed ki kinare by Ajay Singh Rana
तेरा नाम इश्क़ (TERA NAAM ISHQ) – अजय सिंह राणा की पुस्तक की समीक्षा और सार

'तेरा नाम इश्क़' बुक की शॉर्ट कहानी :-

                                                     एक समय की बात है, जब कश्मीर में आतंकवाद, राष्ट्रवाद, धर्मवाद और जातिवाद की जड़े बहुत गहराई से कश्मीर के माहौल में घुल चुकी थी, और कभी कभी वहां की आवाम अपने ही भारतीय जवानों पर पत्थरबाजी करते हुए नजर आ रहे हैं, उसी पृष्ठभूमि पर "तेरा नाम इश्क" नामक उपन्यास की नींव रखी गई है।

Read also :- 

                   • संस्कारहीन माता-पिता या बच्चें ?

जिस समय कश्मीर में जातिवाद अपनी चरम पर था हिंदुओं को कश्मीर से निकाला जा रहा था, उसी समय "तेरा नाम इश्क" नामक उपन्यास की प्रेम कथा प्रारंभ होती है ।

साहिल का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था, जो कि इस उपन्यास का नायक है, और उसका सबसे अच्छा मित्र वसीम है, जो कि मुस्लिम परिवार से संबंध रखता है, वसीम के अब्बू सलीम खान के कारण ही साहिल का परिवार वहां पर टिका हुआ था, आस-पास के लगभग सभी हिंदू परिवार वहां से पलायन कर चुके थे।

साहिल की बड़ी बहन की शादी की तैयारी चल रही थी, इसी शादी में शामिल होने के लिए साहिल के ताऊ जी भी दिल्ली से आए हुए थे । शादी के दिन आतंकवादियों ने मीर गांव पर हमला कर दिया, जिसके कारण बहुत से लोग मारे जा चुके थे, लेकिन किसी कारणवश ताऊ जी एक बालक को लेकर वहां से निकल चुके थे....

कुछ समय बाद..

साहिल अध्ययन करने के लिए चंडीगढ़ में आता है, पंजाब यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी करा लेता है और हॉस्टल में रहने लगता है, हॉस्टल में उसकी मुलाकात होती है, जस्सी से जो कि साहिल का बेस्ट दोस्त बन जाता है, कुछ दिनों बाद साहिल की यूनिवर्सिटी में नेहा से मुलाकात होती है, हालांकि अभी नेहा और साहिल एक दूसरे को एक अच्छा दोस्त ही मानते हैं, लेकिन दोस्ती कब प्यार मोहब्बत जैसे शब्दों को अपने आप में समेट लेती है, उसे पता ही नहीं चलता।

एक दिन साहिल बम ब्लास्ट में चंडीगढ़ से गुम हो जाता है।

यहां तक की सरकार भी यह मानने लगती है कि साहिल बम ब्लास्ट में मर चुका है, लेकिन नेहा यह मानने को तैयार नहीं होती है, यहां तक कि नेहा साहिल को ढूंढने के लिए कश्मीर तक जाती है, लेकिन उसे साहिल के होने का एक भी सबूत उसके हाथ में नहीं लगता है, फिर भी नेहा का दिल कहता है कि साहिल अभी जिंदा है...!

कुछ दिनों बाद...

नेहा के दादा जी का देहांत हो जाने के बाद नेहा चंडीगढ़ को छोड़कर अपने चाचा जी के पास मुंबई चली आती है और वहां वह अपने अध्ययन को जारी रखने के लिए यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी करा लेती है, और अध्ययन सुचारू रूप से चल सके, इसलिए वह अलग से रूम किराए पर ले लेती है।

यूनिवर्सिटी में नेहा की मुलाकात आशीष, अरमान, आलिया और सारिका से होती है।

अरमान कश्मीर से, आशीष दिल्ली से और आलिया तथा सारिका मुंबई से तालुक रखती है।

सारिका अरमान से मोहब्बत करती है, और अरमान भी सारिका से मोहब्बत करता है।

आलिया आशीष से मोहब्बत करती हैं, लेकिन वह इस बात को आशीष को नहीं बताती है।

आशीष नेहा से मोहब्बत करने लगता है, लेकिन वह भी इस बात को नेहा को नहीं बताता है।

नेहा साहिल से मोहब्बत करती है, लेकिन साहिल के गुम हो जाने के कारण अब उसकी नज़रों में मात्र इश्क इबादत और इंतजार ही बचा है।

कॉलेज में रिपोर्ट जमा करने के कारण नेहा को आशीष के साथ कानपुर जाना पड़ता है, और वहां से रिपोर्ट तैयार करके कॉलेज में जमा करनी पड़ती है। नेहा आशीष के साथ कानपुर जाने के लिए तैयार हो जाती है, आशीष कहता है कि हम कानपुर जाने के पहले अपने घर दिल्ली चलेंगे वहां से हम कानपुर के लिए रवाना होंगे, नेहा मान जाती है और वह आशीष के साथ उसके घर दिल्ली जाती है।

साहिल भी अपने मिशन को पूरा करने के लिए दिल्ली जाता है, उसे दिल्ली में नेहा दिखाई देती है और वह अपने अतीत में चला जाता है और वह नेहा से मिलना चाहता है लेकिन किसी कारणवश वह नेहा से नहीं मिल पाता है, साहिल जस्सी को फोन लगाता है और नेहा के बारे में जानने की कोशिश करता है, लेकिन जस्सी को भी नेहा के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं होती, और वह साहिल को कुछ खास बता नहीं पाता है, फिर साहिल चंडीगढ़ के लिए रवाना होता है।

यहां नेहा आशीष के घर एक रात रोककर, कानपुर के लिए रवाना होते हैं, और कानपुर में दोनों अपनी अपनी रिपोर्ट बनाने में जुट जाते हैं।

एक दिन आशीष के पास आलिया का फोन आता है, आलिया, आशीष को अपने दिल की बात बताती है, लेकिन आशीष उस बात को मजाक में लेकर भूल जाता है उसी रात सारिका का फोन आशीष के पास आता है, और वह आशीष को आलिया के बारे में बताती है और कहती है, कि तुम दोनों अर्जेंट में मुंबई आ जाओ।

आशीष, नेहा के रूम में जाता है और अर्जेंट मुंबई जाने को कहता है, नेहा मान जाती है, दोनों मुंबई के लिए रवाना होने लगते हैं, नेहा अपने सर से बोलती है, कि चाचा जी का एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए हम दोनों को इमरजेंसी में मुंबई जाना होगा, सर जी भी स्वभाव के अच्छे होते हैं, वे दोनों को जाने के लिए सहमति दे देते हैं और कहते हैं कि तुम दोनों चिंता मत करना, मैं तुम दोनों की रिपोर्ट को तुम्हारे कॉलेज भेज दूंगा।

नेहा और आशीष मुंबई आ जाते हैं, आलिया से मिलते हैं आशीष, आलिया की इस हालत को देखकर, आलिया को सहमति गर्दन को हां में हिलाते हुए दे देता है।

कुछ समय बाद नेहा आशीष और उसके संपूर्ण दोस्त दरगाह जाने का मन बनाते हैं और दरगाह जाते हैं, जो कि वहां की बहुत ही प्रसिद्ध दरगाह है, जैसे ही नेहा और उसके दोस्त दरगाह के अंदर जाते हैं, उसी समय साहिल भी उस दरगाह के बाहर से गुजर रहा होता है, तो उसका भी मन करता है, कि मैं भी दरगाह में चला जाऊं और वह दरगाह में जाता है और वह दरगाह में नेहा और साहिल को देखता है, तो वह अंदर से बहुत ही टूट जाता है, और वह बाहर से ही लौट आता है और अपने रूम की ओर चला जाता है, वह उस दिन सो नहीं पाता और वह अपने जावेद सर! को फोन लगाता है और कहता है कि मैं अब काम करना नहीं चाहता हूं और मैं अपने जीवन के अंतिम क्षणों को अपने गांव कश्मीर में बिताना चाहता हूं । जावेद सर कहते हैं, कि तुम खुफिया एजेंसी के सबसे महत्वपूर्ण ऑफिसर हो, तुम ने देश के लिए बहुत कुछ किया है, तुम अभी सो जाओ कल अपना अंतिम निर्णय बता देना और जावेद सर फोन काट देते हैं।

Read also :-

                   • जयपुर डेयरीज पार्ट 1

                   • जयपुर डेयरीज पार्ट 2

                   • जयपुर डेयरीज पार्ट 3

साहिल काम करने के लिए मान जाता है। और अपने मिशन में लग जाता है और मिशन को पूरा करते ही वह अपने दोस्त जस्सी के गांव भी जाना चाहता है, क्योंकि उसने वादा किया था, कि मैं तुम्हारे गांव जरूर आऊंगा वह जस्सी के गांव जाता है और वह जस्सी को नेहा का उपहार दे देता है, और कहता है कि अब नेहा किसी और की अमानत हो गई है, वह अब हमसे मोहब्बत नहीं करती है।

जस्सी इस बात को मानने से इंकार कर देता है, क्योंकि वह नेहा को बहुत ही अच्छी तरह से जानता था, कि वह मरते मर जाएगी, लेकिन साहिल से मोहब्बत करना नहीं छोड़ेगी, क्योंकि जब सरकार ने तुम्हें मरा हुआ मान लिया था, फिर भी नेहा तुम्हें खोजने के लिए कश्मीर तक गई थी अर्थात् वह तुमसे बहुत मोहब्बत करती है वह तुम्हें छोड़ नहीं सकती है।

साहिल वहां से अपने गांव कश्मीर की ओर निकल जाता है।

यहां मुंबई में नेहा अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए के.वी. की जॉब के लिए अप्लाई कर देती है और उसमें उसका नंबर भी आ जाता है और वह अपनी जॉब को करने के लिए मंडी के लिए निकल जाती है, क्योंकि उसे जॉब मंडी में मिलती है।

यहां जस्सी नेहा की खोज में मुंबई आता है और आशीष से मिलता है और आशीष को उस उपहार को देता है, जो साहिल ने जस्सी को दिया था और जस्सी आशीष से कहता है कि नेहा किसी और की अमानत हो गई है, ऐसा साहिल ने कहा था, इसलिए उन्होंने नेहा के उपहार को नेहा को देने के लिए कहा है, और वह कश्मीर के लिए रवाना हो गए हैं, क्योंकि वह अपने जन्मदिन पर अपने गांव अवश्य जाते हैं और उनका जन्मदिन 7 जुलाई को होता है, आशीष उसका स्वागत करता है और फिर वह जस्सी अपने गांव के लिए रवाना हो जाता है।

यहां आशीष उस उपहार को लेकर नेहा से मिलने के लिए जाता है, क्योंकि वह चाहता था कि नेहा और साहिल दोनों मिल जाए इसलिए मंडी के लिए रवाना हो जाता है।

मंडी में जाकर, वह नेहा से मिलता है और नेहा को संपूर्ण घटना का यथावत ज्ञान कराता है और दोनों वहां से कश्मीर की ओर रवाना हो जाते हैं।

अभी भी कश्मीर की हालत ठीक नहीं थी, वहां अभी भी आतंकवाद, जातिवाद, धर्मवाद और राजनीतिक आदि अपनी चरम पर है, फिर भी आशीष और नेहा दोनों कश्मीर के लिए रवाना हो जाते हैं, वह एक रात के लिए होटल में रुकते हैं और दूसरे दिन सुबह से मीर गांव के लिए ऑटो पकड़ कर निकल जाते हैं।

यहां साहिल भी पहले से ही अपने मीर गांव आ जाता है, और अपने अतीत में खो जाता है, तभी उसके पास जावेद सर! का फोन आता है, वह कहते हैं, कि आतंकवादी श्रीनगर में आने के लिए तैयार है, और तुम्हें, आतंकवादियों को श्रीनगर में घुसने नहीं देना है, मीर गांव से जो सड़क श्रीनगर की ओर जाती है उसी सड़क से वह आतंकवादी श्रीनगर की ओर जाएंगे... फिर फोन काट देते हैं।

Read also :- 

                   • गुजरे वापिस नहीं आते..?

साहिल संपूर्ण सड़क पर बारूद बिछा देता है और स्वयं बंदूक को हाथ में लेकर वही महाकाल की तरह बैठ जाता है।

इतने में ही उसे सामने एक ‌ऑटो दिखाई देती है, जिसमें नेहा और आशीष बैठे होते हैं, जब नेहा ऑटो से बाहर निकलती है, तो वह नेहा को पहचान जाता है और अपने मुख से काले रंग के कपड़े को हटा देता है और दोनों जैसे ही मिलने के लिए आते हैं वैसे ही आतंकवादी उन पर हमला कर देते हैं.....


नेहा, साहिल से मिल पाती है, कि नहीं..... यह एक सवाल है और इसका जवाब इस उपन्यास के तथ्य में छिपा हुआ है।

तेरा नाम इश्क़ बुक यहा से खरीदें Click here

Read also :- 

                   • 'तेरा नाम इश्क' पुस्तक की समीक्षा





एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ