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मैं जैनी हूँ ये कम है क्या: Mai jaini hu ye kam hai kya?

 मैं जैनी हूँ ये कम है क्या? जैन धर्म पर कविता, जैन धर्म की महानता, 2022:–

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 मैं जैनी हूँ ये कम है क्या: Mai jaini hu ye kam hai kya?


मैं जैनी हूँ ये कम है क्या, कुछ और उपाधि क्या लेता?

इसके आगे सब फीका है, ये जगत श्रेष्ठ मोती जैसा।।

जिसकी तलहटी सदा शीतल,

सर्वज्ञ का शासन चलता हो।

उस शासन को समझाने को, 

गुरुओं का मेला लगता हो।।

तो कैसे भला बताओ तुम, 

उनके चरणों में न झुकता?

मैं जैनी हूँ ये कम है क्या, 

कुछ और उपाधि क्या लेता?? 1.


ये वही धर्म है जिसकी सुंदर लोरी,

जग में गूंजी थी।

आप, आप का कर्ता है, 

मैं हूँ स्वतंत्र ये बोली थी।।

अब क्या हो गया उठो जागो,

क्या अब ये गीत सुना सकता?

मैं जैनी हूँ ये कम है क्या, 

कुछ और उपाधि क्या लेता?? 2.


जिसके स्तंभ कुंद मुनि हो, 

हो समंतभद्र से-वादार्थी।

अकलंक देव से विदुर जहाँ, 

उस कुल के वंशज हम साथी।।

तो बोलो उनके शब्दों की, 

जयमाला हृदय पिरो सकता?

मैं जैनी हूँ ये कम है क्या, 

कुछ और उपाधि क्या लेता?? 3.


हम कैसे युद्ध हार सकते, 

हो कर्म प्रचंड भले हाथी?

हम अनेकांत का शस्त्र लिए,

ये युद्ध जीतते हैं साथी।।

ये मृदुल बजा दो कह दो सबसे, 

ये वीर पुत्र सब कर सकता,

मैं जैनी हूँ ये कम है क्या, 

कुछ और उपाधि क्या लेता?? 4.


मैं जैनी हूँ ये कहने से, 

जैनी ना कोई हो जाता।

पर जन्म लिया जैनी कुल में,

ये गर्व हमे हर क्षण होता।।

इतना सौभाग्य हमारा है, 

इस कुल से धर्म बढ़ा सकता।

मैं जैनी हूँ ये कम है क्या, 

कुछ और उपाधि क्या लेता?? 5.



अभिषेक कुमार जैन।

    "देवराहा"


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